एक ऐसा लाम्हा
जो कर दिया मुझे तनहा
पुरे हो सारे अरमान जैसा खुला यह आसमान
ऐसा ना कभी हवा की देखा सूरज में धुवा
चाव से बी उज्वाल सुन्दर यह तेरा दावल
एस बार था वह नरम
जो कर दिया ह्रदय में मर्म
अकन्शओहं की एस चवें में
बह ना जाऊं कभी में
ले रहे थी धीमहि सान्स्हें
पर जब बीघ गए होंट प्यासे
नयनों की एख पलक में
दिख गेई ज़िन्दगी एक जालक में
चंचल नाधीयो से बरा मान है तेरा गहरा
काँटों से भुना अगार कथन निर्मल उसका ना सुना
पल के महक में सोती जैसे तुम्हारे सीप की मोती
सागर के निर्बय लहर में जुज़र ना जाये ज़िन्दगी एस पहर में
धरा के लिए बरसते सारे
घर्ज रहें थे बदल प्यारी
जब बादल बन गए अश्रु तेरे
बूंद बूंद गिन रहे नाम तेरे
है जीवन के रखावले कर रहे यह लाम्हा तेरे हवाले
....2005
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