Wednesday, June 27, 2007

Y am here...?


To feel and experience infinity within this finite body
To live timelessness within this time span of life
To uncover bliss in misery……..


Women

ashasea


Originally uploaded by napoji

Many times in our society they are so much conditioned that rest of their lives they vastly prefer not be heard. Little wonder they find themselves tongue tied and hog-tied…without any loud stubbornness ….they exist with subtle persistence….

2007.. Courtesy :napoji's photos http://www.flickr.com/photos/8001694@N05/

Tuesday, June 26, 2007

kamoshi ke shore..


frozen tree
Originally uploaded by
ashasea

काले बादल है घंगोर

चा रहा है सनाठा चारों और न है दिल पर कोई जोर

पर जंच रहा है कानो में एक शोर

क्या यहें है कमोशी की शोर ???

शितिज तो यह रहा पर मंजिल यह नहीं

जीवन के इस अद्बुत ताल में उलाज न जाऊँ हर हाल में ..

सोच रही दिल ही दिल में बुला दू सारे घाम इसी पल में

दुभ जाना है कमोशी की सागर में एहसास की एस अनोके चादर में

लेकिन बढ़ रहा यह समय के साथ

न ले रही रुकने की बात

पर जब केसी ने थमा यह हाथ थम गेई कमोशी की रात

मिला जो साथ का वादा

न सोच सकी में ज्यादा गा उटी जोर से मुक्त हूँ कमोशी की एस शोर से

.....2001

blue waves with white foams-lamhon ke lehar...


एक ऐसा लाम्हा

जो कर दिया मुझे तनहा

पुरे हो सारे अरमान जैसा खुला यह आसमान


ऐसा ना कभी हवा की देखा सूरज में धुवा

चाव से बी उज्वाल सुन्दर यह तेरा दावल

एस बार था वह नरम

जो कर दिया ह्रदय में मर्म

अकन्शओहं की एस चवें में

बह ना जाऊं कभी में


ले रहे थी धीमहि सान्स्हें

पर जब बीघ गए होंट प्यासे

नयनों की एख पलक में

दिख गेई ज़िन्दगी एक जालक में


चंचल नाधीयो से बरा मान है तेरा गहरा

काँटों से भुना अगार कथन निर्मल उसका ना सुना

पल के महक में सोती जैसे तुम्हारे सीप की मोती

सागर के निर्बय लहर में जुज़र ना जाये ज़िन्दगी एस पहर में


धरा के लिए बरसते सारे

घर्ज रहें थे बदल प्यारी

जब बादल बन गए अश्रु तेरे

बूंद बूंद गिन रहे नाम तेरे

है जीवन के रखावले कर रहे यह लाम्हा तेरे हवाले

....2005